कंधा देनेके लिए चार मिल जाते हैं यहां मगर किसी कंधेसे कंधा मिलाकर देखो।। कंधा देनेके लिए चार मिल जाते हैं यहां मगर किसी कंधेसे कंधा मिलाकर देखो।।
तुम्हारी आँखों का स्पर्श लिपटता है मेरी देह से तुम्हारी आँखों का स्पर्श लिपटता है मेरी देह से
व्यक्ति की पहचान नाम से, आत्मा की पहचान ध्यान से होती है जैसे.. वैसे ही जीवन में मंज व्यक्ति की पहचान नाम से, आत्मा की पहचान ध्यान से होती है जैसे.. वैसे ही...
तुम रोज ना ऐसे मन के गांव को निचोड़ा करो, तुम रोज ना ऐसे मन के गांव को निचोड़ा करो,
बचा रहे ढीठता का चुटकी भर नमक लज्जा के अंतहीन समुद्र में बचा रहे ऋतुओं में थोड़ा-सा बचा रहे ढीठता का चुटकी भर नमक लज्जा के अंतहीन समुद्र में बचा रहे ऋतुओं ...
अब तो बस यही सोच कर मेरी आँखें सो सकती हैं, अब तो बस यही सोच कर मेरी आँखें सो सकती हैं,